भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ी है, लेकिन कोयला संकट की वजह से कई राज्यों को बिजली कटौती की जा रही है…बिजलीघरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे एक्शन में आ गया है. उसने 24 मई तक यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द किये जाने की अधिसूचना जारी की है…

भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ी है, लेकिन कोयला संकट की वजह से कई राज्यों को बिजली कटौती की जा रही है. पूरे उत्तर भारत और दक्षिण भारत के भी कई हिस्सों में एक तरफ गर्मी चरम पर है, तो दूसरी तरफ देश गहरे बिजली संकट से जूझ रहा है. उत्तर भारत में पारा 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है.
बिजली की मांग रिकॉर्ड 204 गीगावॉट के पार
झुलसाती गर्मी का ही नतीजा है कि देश में पहली बार बिजली की मांग रिकॉर्ड 204 गीगावॉट के पार चली गयी है. पिछले साल इसी समय यह मांग 182.5 गीगावॉट रही थी. लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने में बिजलीघर अक्षम साबित हो रहे हैं. देश के 173 तापीय बिजलीघरों में से 106 में कोयले की भारी कमी है. उनके पास तय स्टॉक का 25 प्रतिशत कोयला ही है. घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले 150 तापीय बिजलीघरों में से 86 में कोयले की कमी की स्थिति गंभीर है. देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गयी है.
24 मई तक यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने दावा किया कि रेलवे मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के बीच तालमेल के अभाव से कोयले की कमी हुई है. इस बीच, बिजलीघरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे एक्शन में आ गया है. उसने 24 मई तक यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द किये जाने की अधिसूचना जारी की है. इनमें लंबी दूरी की मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के 500 से अधिक फेरे शामिल हैं. इन ट्रेनों के रद्द होने से कोयला लदी मालगाड़ियों (रेक) की संख्या बढ़ायी जा सकेगी. अभी रोजाना 400 से ज्यादा कोयला रेक का संचालन रेलवे कर रहा है.
क्यों पैदा हुआ यह संकट
-बिजलीघरों में कोयले का भंडार नौ वर्षों में सबसे कम
-यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी
-सप्लाई चेन बाधित होने से कोयले के आयात में गिरावट
-कोयले की कमी से जूझ रहे बिजलीघर, रेलवे एक्शन में
-तेज गर्मी के बीच 62.3 करोड़ यूनिट बिजली की कमी