कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद राजा बने युधिष्ठिर जब रणभूमि में तीरों की शैय्या पर पड़े भीष्म से राजनीति की शिक्षा लेने गए, तब उन्होंने युधिष्ठिर को उन 4 गुणों के बारे में बताया जिनको अपने जीवन में उतार लेने से इंसान की आयु बढ़ती है। ये गुण इस प्रकार हैं.

. कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद राजा बने युधिष्ठिर जब रणभूमि में तीरों की शैय्या पर पड़े भीष्म से राजनीति की शिक्षा लेने गए, तब उन्होंने युधिष्ठिर को उन 4 गुणों के बारे में बताया जिनको अपने जीवन में उतार लेने से इंसान की आयु बढ़ती है। ये गुण इस प्रकार हैं.
1. छल-कपट न करना
जो व्यक्ति हमेशा सदाचार का पालन करता है, छल-कपट जैसी भावनाएं जिसके मन में नहीं रहती, उसका मन हमेशा प्रसन्न रहता है। मनुष्य को छल-कपट जैसे भावों से दूर रह कर, अपना मन देव भक्ति और पूजा में लगाना चाहिए। ऐसा करने से उसका मन शांत रहता है।
शांत मन ही स्वस्थ शरीर की निशानी होती है। इस गुण को पालन करने पर मनुष्य अधिक समय तक जीवित रहता है।
2. हमेशा सच बोलना
झूठ बोलने से न की सिर्फ मनुष्य की छवि खराब होती है, बल्कि उसके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। वो अक्सर अपना झूठ पकड़े जाने के डर से चिंता में रहता है, बेचैन रहता है। यही चिंता उसकी सेहत पर लगातार बुरा असर डालती है। लम्बी उम्र के लिए असत्य बोलने से बचना चाहिए।
3. क्रोध न करना
बेवजह या अत्यधिक गुस्सा करने से मनुष्य के मन- मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। जो उसकी आयु को कम करता जाता है। गुस्सा हमारे स्वभाव को धीरे-धीरे हिंसक बना देता है। क्रोध न करने वाले या शांत स्वभाव वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसे निश्चित ही लंबी उम्र तक जीता है।
4. हिंसा न करना
जो व्यक्ति दूसरों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है और उनकी रक्षा करता है, उन पर भगवान हमेशा प्रसन्न रहते है। इस गुण का पालन करने वाले की आयु निश्चित ही लम्बी होती है। हिंसा भी तीन तरह की मानी गई है, मन से, वचन से और कर्म से। मन से हिंसा का मतलब है किसी के बारे में लगातार बुरा सोचना। वचन से हिंसा का मतलब है कि किसी के बारे में बुरा बोलना, भ्रामक बातें फैलाना तथा कर्म से हिंसा मतलब शारीरिक रूप से कष्ट पहुंचाना।
Source 20-03-2021